बचपन की यादें / bachpan ki yaadein

बचपन की यादें -A Poem on Childhood

बचपन की यादें
  BY -Ankit Narang    Instagram

ना कसमे थे, ना वादे, अनजान थे ईराधे…
हो सके तो मुझे कोई फिर उन राहों से मिला दे…
सुनते थे हम पारियों की कहानी…
करते थे बस अपनी ही मनमानी…
रहते अपनी ही ख्वाबों की दुनिया में खोये…
माँ की मीठी लोरियाँ सुने बिन हम कहाँ सोये…
कोई भी चीज़ को लेकर हम ज़िद पर अड़ जाते…
अपने ही सवालों से खुद उलझन में हम पड़ जाते…
होता था बस हमारा खिलौनों से वास्ता…
उस कागज़ की कस्ती में भी कुछ खास था।

ना कसमे थे, ना वादे, अनजान थे ईराधे…
हो सके तो मुझे कोई फिर उन राहों से मिला दे…
कंधो में पापा के कोई फिर से घुमा दो…
तीन पहिये वाली उस साइकिल की कोई सैर करा दो…
पुराना बचपन वाला वो नटखट रविवार कोई लौटा दो…
पुराने बचपन के प्यारे खेल कोई फिर से ख़िला दो…
उस खूबसूरत शहर का कोई राह बता दो...
उन शैतान दोस्तों को कोई मेरा पता दो…
राजा-रानी परियों की कहानी कोई फिर से सुना दो…
सुकून भरी बचपन की निंदिया कोई फिर से सुला दो।


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बचपन की यादें / bachpan ki yaadein बचपन की यादें / bachpan ki yaadein Reviewed by Ankit Narang on March 12, 2019 Rating: 5

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